NRI News :-दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का होगा अधिकार

News Republic of India
0
Delhi Govt vs LG: Now Delhi politics will change, Arvind Kejriwal's work will not be obstructed
Delhi Govt vs LG: Saurabh Bhardwaj and Atishi Marlena with CM Kejriwal and Delhi LG 

 NRI News :- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह साफ कर दिया है कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार होगा। कोर्ट ने माना है कि यदि अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार नहीं होगा, तो इससे उस मूल सिद्धांत की उपेक्षा होगी, जिसमें कार्य न किए जाने पर सक्षम अथॉरिटी को दोषी अधिकारियों को दंडित करने का अधिकार होता है। माना जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस स्पष्ट निर्णय के बाद दिल्ली की राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी और अब दिल्ली सरकार के कामकाज में अनावश्यक 'अड़ंगा' नहीं लगाया जा सकेगा।

आम आदमी पार्टी दिल्ली की राजनीति को अपने मॉडल के तौर पर पेश करती रही है। इसी को दिखाकर वह दूसरे राज्यों के मतदाताओं को लुभाने का काम करती है, ऐसे में दिल्ली में कामकाज प्रभावित होने से उसकी राजनीति पर भी असर पड़ रहा था, लेकिन माना जा रहा है कि इस नए निर्णय के बाद आम आदमी पार्टी को अपने कामकाज करने और उसके आधार पर दूसरे राज्यों में विस्तार करने में आसानी होगी।

आम आदमी पार्टी आरोप लगाती रही है कि उपराज्यपाल भाजपा और केंद्र सरकार के इशारे पर उसके कामकाज में अनावश्यक दखल देते हैं। दिल्ली सरकार का आरोप रहा है कि उसके जनता के हितों के कामकाज को भी मनगढ़ंत आधारों पर रोकने की कोशिश की जाती है। अब अधिकारियों पर उपराज्यपाल की भूमिका सीमित हो जाने के बाद दोनों के बीच टकराव कम हो सकता है।

सिसोदिया ने लगाया था ये आरोप

पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर भी आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार के कामकाज में गलत बाधा डालने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों को नियमों से परे जाकर आदेश और दिशा निर्देश दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों को अपने कार्यालय में बुलाकर उनके साथ बैठक करना भी संविधान विरुद्ध है।

राशन योजना पर हुआ था विवाद

दिल्ली सरकार ने राजधानीवासियों को घर-घर राशन पहुंचाने की योजना बनाई थी। कहा गया था कि जिन पैकेट में राशन पहुंचाने की योजना बनाई गई थी, उन पर अरविंद केजरीवाल की तस्वीर छपी थी। केंद्र सरकार ने इस पर यह कहते हुए रोक लगाई थी कि राशन केंद्र सरकार के द्वारा दिया जा रहा है, इसलिए दिल्ली सरकार पीडीएस सिस्टम से अलग अपना कोई नया सिस्टम नहीं अपना सकती। दिल्ली सरकार ने इसे जनता के हितों को चोट पहुंचाने वाला निर्णय बताया था।

यमुना की सफाई पर विवाद टलेगा?

यमुना की सफाई को लेकर भी उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच ठन गई थी। उपराज्यपाल ने अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए यमुना की सफाई का कामकाज शुरू कर दिया था, जबकि दिल्ली सरकार इसे अपने अधिकार क्षेत्र का मामला बता रही थी। भाजपा ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार यमुना सफाई पर कोई काम नहीं कर रही है, और उसने केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए धन का उपयोग नहीं किया।


हालांकि, दिल्ली सरकार ने यमुना सफाई के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही थी। माना जा रहा है कि अब दोनों के बीच इस मुद्दे पर टकराव से बचा जा सकेगा और यमुना की साफ-सफाई का रास्ता खुल सकेगा।

वेतन वृद्धि पर भी हुआ था टकराव

श्रमिकों के न्यूनतम वेतन वृद्धि के मामले में भी दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच टकराव दिखाई पड़ा था। केंद्र सरकार विभिन्न नियमों के हवाले से न्यूनतम वेतन वृद्धि को सही नहीं मान रही थी, जबकि दिल्ली सरकार ने न्यूनतम वेतन वृद्धि को एक जनहितकारी निर्णय बताते हुए इसे लागू कर दिया था। नए निर्णय के बाद अब इस तरह के टकराव से बचा जा सकेगा।

बिजली सब्सिडी पर विवाद

दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया था कि उसके द्वारा जनता को दी जा रही मुफ्त बिजली की योजना को बाधित करने की कोशिश की जा रही है। चूंकि, मुफ्त बिजली योजना को आम आदमी पार्टी की राजनीति में अहम माना जाता है, माना जा रहा था कि राजनीतिक कारणों से इस पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है। कथित तौर पर उपराज्यपाल मुफ्त बिजली से संबंधित योजना की फाइल पर साइन नहीं कर रहे थे। हालांकि, भाजपा ने साफ कर दिया था कि केंद्र सरकार की इस तरह की कोई योजना नहीं है।

विधानसभा का सत्र बुलाने पर भी हुआ था टकराव

हाल ही में दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र आयोजित किया था। इसमें इशारों-इशारों में अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। वहीं, उपराज्यपाल ने उनकी अनुमति के बिना दिल्ली विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर भी आपत्ति जताई थी और इसे असंवैधानिक बताया था।

अध्यापकों को विदेश भेजने पर भी टकराव रुकेगा

दिल्ली सरकार अध्यापकों को विदेश भेजकर उन्हें बेहतर ट्रेनिंग देकर दिल्ली के छात्रों का स्तर सुधारने का दावा करती रही है। इसी सत्र में दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया था कि अध्यापकों को विदेश भेजने के मामले 1में उपराज्यपाल आपत्ति कर रहे हैं और अध्यापकों का विशेष प्रशिक्षण नहीं होने दे रहे हैं। कहा गया था कि उपराज्यपाल दिल्ली में बेहद आवश्यक योजनाओं में धन न होने के आधार पर काम रोकने के बीच अध्यापकों को विदेश भेजने के निर्णय को गलत बताया था। हालांकि, बाद में आवश्यक निर्देश देकर अध्यापकों को भेजने पर सहमति दे दी गई थी। अब इस तरह के निर्णयों में बाधा आने को भी रोका जा सकेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)